विश्व में आज
शायद ही कोई देश हो जहाँ भ्रष्टाचार न हो। भ्रष्टाचार से सभी आम लोग परेशान हैं। मानव की अधिक उत्सुकता और तेजी से धन कमाने की
महत्त्वकांक्षा ने ही भ्रष्टाचार को जन्म दिया है। प्रायः भ्रष्टाचार में लिप्त
लोग अपना कार्य गलत तरीके से करवाना चाहते हैं। भारत जैसे विकासशील देशों में यह
एक विकट समस्या है। भ्रष्टाचार न सिर्फ लोगों को गलत राह पर ले जाता है अपितु
सामाज और देश के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।
लगभग सभी सरकारी
कार्यालयों और विभागों में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि इन्हें
उखाड़ना बेहद ही कठिन हो चुका है। अकसर लोगों के द्वारा
सरकारी कर्मचारियों तथा अफसरों को अपना काम गलत तरीके अथवा जल्दी करवाने के लिए
पैसा और उपहार दिया जाना आम हो चुका है। कई सरकारी विभागों और दफ्तरों में तो
बकायदा हर काम के लिए पहले से ही एक दर निर्धारित कर दी जाती हे, जिसमें नीचे से उपर तक के हर कर्मचारियों का अपना हिस्सा
होता है।
हमारे देश के राजनेताओं
ने तो भ्रष्टाचार को समाप्त करने के बजाय इसकी जड़ो को और मजबूत कर दिया है। हर
रोज अख़बार तमाम नेताओं के महान घोटालों की कहानियों से भरे मिलते हैं। चारा
घोटाला, कोयला आबंटन घोटाला आदि का नाम हमारे देश के बड़े घोटालों
में दर्ज है। नेताओं की मदद से ही भ्रष्टाचारियों ने देशवासियों का अपार पैसा स्विस बैंक, जर्मन बैंक जैसे विदेशी बैकों में गलत तरीके से
जमा किए हैं।
आज अगर भारत सहित
पूरे विश्व को यदि भ्रष्टाचार के कुश्राप से मुक्त होना है तो आज सामाज के हर वर्ग
को आगे आना होगा। समाज में फैली इस बुराई को जड़ से उखाड़ना ही होगा। सरकार को भी
अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कानून बनाने
होंगे। विद्यालय स्तर पर बच्चों को भ्रष्टाचार से दूर रहने के लिए प्रेरित करना
होगा। एक भ्रष्टाचार मुक्त समाज ही तेज गति से विकास कर सकता है।
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