बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ राष्ट्रीय स्तर शुरु किया गया एक जन जागरुकता मिशन जिसका मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में कन्या भ्रूण हत्या रोकना और बेटियों को शिक्षित बनाना है। इस मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015, गुरुवार को की। 2011 के जनसंख्या आँकडों के अनुसार हरियाणा में लिंगानुपात 775 लड़कियाँ पर 1000 लड़कों का है जो समाज में बेटीयों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है इसी कारणवश इस योजना की शुरुआत हरियाणा राज्य से हुई।
बेटियों के प्रति
समाज की सोच को बदलने की दिशा में उठाया गया यह एक सराहनीय कदम है जिसके लिए पूरे
देश के 100 जिलों को विशेष रुप से
सम्मलित किया गया। इस योजना का मूल उद्देश्य बेटियों को आर्थिक तथा सामाजिक रुप से
सस्क्त बनाना है।
आज आधुनिक
यंत्रों के माध्यम से भ्रूण के लिंग का पता चल जाता है जिसके कारण गर्भ में ही
कन्या भ्रूण हत्या होने की घटनाओं से लड़कियों की संख्या में भारी कमी आने लगी।
अगर हम 2011
की जनसंख्या रिपोर्ट पर
गौर करें तो हमें पता चलेगा कि पिछले कुछ दशकों से 0 से 6 वर्ष की बच्चियों की संख्या में लगातार गिरावट हुई है। 2001 में यह आकड़ाँ 927 था जो कि 2011 में घट कर 919 हो गया। हमारे
पुरुष प्रधान समाज में समय-समय पर महिलाओं को ऐसी कई बुरी प्रथाओ का सामना करना
पड़ा है जो कि हमारे लिए शर्म की बात है। महिलाएं समाज की आधारभूत स्तम्भ हैं
महिलाओं के विकास से ही हमारा देश समृद्ध और विकसित हो सकता है।
महिलाओं के प्रति
समाज में भेदभाव मिटानें तथा उन्हें सशक्त बनाने के लिये सरकार ने इस योजना की शुरुआत की।
महिलाओं के सशक्तिकरण से ही समाज के सभी आयामों में प्रगति हो सकती है। इस योजना
से लड़कों और लड़कियों के प्रति भेदभाव खत्म हो जाये तथा कन्या भ्रूण हत्या का
अन्त हो इसी लक्ष्य को ध्यान में रखा गया है। इस योजना की शुरुआत करते हुए पीएम
मोदी ने चिकित्सकों को विशेष रुप से आग्रह किया कि वे भ्रूण के लिंग की जांच
न करें साथ है कन्याओं के प्रति आम लोगों को जागरुक करने का प्रयास करे ताकि हमारे समाज में कन्या भ्रूण हत्या समाप्त हो।
इसमें कोई दो राय
नही कि यह भारत सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है जिसका लक्ष्य बेटियों को समाज में उचित स्थान दिलाना है
ताकि वे आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन से मुक्त हो सकें और देश के विकास में अपना
अहम योगदान दे सकें।
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